मुरादाबाद में शिक्षा की आड़ में ठगी का बड़ा मामला उजागर हुआ है। कटघर थाना क्षेत्र में इंस्टीट्यूट डायरेक्टर और उसके सहयोगियों पर छात्रों और अभिभावकों से लाखों रुपये हड़पने का आरोप लगा है। हरदोई निवासी अमरेंद्र शर्मा की तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
अमरेंद्र शर्मा ने बताया कि उन्होंने अटल बिहारी पैरामेडिकल हेल्थ साइंस से कुसुमा देवी नर्सिंग इंस्टीट्यूट की मान्यता ली थी। संस्थान के डायरेक्टर चंद्रमोहन सक्सेना निवासी कटघर मुरादाबाद ने मान्यता दिलाने के नाम पर सात लाख रुपये लिए। इसके बाद संस्थान में 41 बच्चों का दाखिला कराया गया और 25 बच्चों से 25-25 हजार रुपये सालाना वसूले गए। बाद में सामने आया कि इन बच्चों की मार्कशीट फर्जी है।
पीड़ित के अनुसार आरोपियों ने बार-बार मांगने पर केवल पांच लाख रुपये लौटाए, बाकी रकम दबा ली। जब उसने दोबारा पैसे मांगे तो आरोपी चंद्रमोहन सक्सेना, संजय गोस्वामी और उनके सहयोगियों ने गाली-गलौच कर भगा दिया और धमकी दी कि अब एक भी रुपये वापस नहीं किए जाएंगे।
तहरीर में यह भी आरोप है कि डी-फार्मा के आठ छात्रों को एमजीआर यूनिवर्सिटी चेन्नई की फर्जी मार्कशीट दी गई, जिनसे प्रति छात्र डेढ़ लाख रुपये लिए गए। बीएमएस के एक छात्र से छह लाख रुपये ऐंठे गए। आगरा स्थित अटल बिहारी पैरामेडिकल संस्थान से जांच कराने पर सभी डिग्रियां फर्जी पाई गईं।
पीड़ित अमरेंद्र शर्मा ने पुलिस और एसएसपी को दी शिकायत में बड़ा खुलासा किया है। उनका कहना है कि चंद्रमोहन सक्सेना ने उनसे बीएमएस की डिग्री दिलाने के नाम पर छह लाख रुपये, डी-फार्मा के लिए डेढ़ लाख रुपये और एएनएम डिग्री के लिए दो लाख रुपये लिए। कुल मिलाकर 22 लाख रुपये आरोपियों की जेब में पहुंचे। अमरेंद्र ने बताया कि आरोपी ने 21 तारीख को बुलाया और वहां पहले से संजय गोस्वामी समेत तीन-चार लोग मौजूद थे। जब उसने पैसे लौटाने की बात कही तो आरोपियों ने धमकाकर भगा दिया।
पीड़ित ने यह भी आरोप लगाया कि आरोपी न केवल मुरादाबाद बल्कि जौनपुर और अन्य जिलों में भी इस तरह के फर्जी संस्थान चला रहे हैं। करीब 22 सेंटर ऑनलाइन साइट पर मौजूद थे, जिनमें से अब पांच सक्रिय बताए जा रहे हैं। पीड़ित का कहना है कि उसका सेंटर भी ऑनलाइन साइट से हटा दिया गया है।
थाना कटघर पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए चंद्रमोहन सक्सेना, संजय गोस्वामी समेत तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस का कहना है कि शिकायत पर हर पहलू से जांच की जा रही है।
यह मामला न केवल एक पीड़ित का है बल्कि उन सैकड़ों-हजारों छात्रों के भविष्य से जुड़ा है जो डिग्री और नौकरी के लालच में इस तरह के गिरोहों का शिकार हो सकते हैं। सवाल यह है कि शिक्षा विभाग और प्रशासन की नाक के नीचे यह गोरखधंधा कैसे चलता रहा। यदि इस गिरोह पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो युवाओं के भविष्य को अंधेरे में धकेलने वाले ऐसे नेटवर्क और भी निर्भीक होकर काम करेंगे।

