मुरादाबाद। भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने रविवार को मुरादाबाद में आयोजित किसान महापंचायत में सरकार पर जमकर निशाना साधा। इस महापंचायत में हजारों की संख्या में किसान पहुंचे और टिकैत का गर्मजोशी से स्वागत किया। टिकैत ने अपने संबोधन में साफ कहा कि किसान आंदोलन खत्म नहीं हुआ है बल्कि यह सिर्फ एक पड़ाव है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को कमजोर समझने की भूल कर रही है लेकिन किसान अपनी मांगों को मनवाए बिना पीछे हटने वाले नहीं हैं।
टिकैत ने अपनी पुरानी मांग को दोहराते हुए कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी ही किसानों की सबसे बड़ी जरूरत है। उन्होंने किसानों को चेताया कि अगर समय रहते एमएसपी पर कानून नहीं बना तो आने वाले दिनों में आंदोलन को और तेज किया जाएगा। राकेश टिकैत ने मंच से कहा कि मौजूदा सरकार किसानों की नहीं बल्कि बड़े पूंजीपतियों और उद्योगपतियों की हितैषी है। उन्होंने गन्ना किसानों के बकाया भुगतान में हो रही देरी पर सवाल उठाए और कहा कि गन्ना उत्पादक लंबे समय से अपना हक पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं लेकिन सरकार चुप्पी साधे हुए है। इसके साथ ही उन्होंने बिजली दरों में लगातार हो रही बढ़ोतरी और किसानों पर दर्ज फर्जी मुकदमों का भी मुद्दा उठाया।
टिकैत ने आरोप लगाया कि सरकार एक तरफ किसानों की आय दोगुनी करने का दावा करती है, लेकिन दूसरी तरफ खेती की लागत बढ़ती जा रही है और किसान कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे हैं।
आगामी रणनीति पर चर्चा
महापंचायत में टिकैत ने किसानों से एकजुट रहने की अपील की। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भारतीय किसान यूनियन की राष्ट्रीय कमेटी बैठक कर आगे की रणनीति तय करेगी। उन्होंने कार्यकर्ताओं को गांव-गांव जाकर किसानों को एकजुट करने और सरकार की नीतियों के खिलाफ जागरूक करने का आह्वान किया।
टिकैत ने कहा कि सरकार किसानों को लड़खड़ाने की कोशिश कर रही है लेकिन किसान आंदोलन ने यह साबित कर दिया है कि अगर किसान एकजुट हो जाएं तो सबसे मजबूत सत्ता भी झुकने पर मजबूर हो जाती है।
किसानों में दिखा उत्साह
मुरादाबाद की किसान महापंचायत में जिस तरह किसानों का हुजूम उमड़ा और टिकैत के संबोधन पर जोश दिखा, उससे साफ है कि यूनियन एक बार फिर आंदोलन को धार देने की तैयारी में है। किसान महापंचायत से लौटे किसानों का कहना था कि टिकैत का संदेश उन्हें नई ऊर्जा और हौसला दे गया है।
महापंचायत के बाद किसानों में चर्चा रही कि अगर सरकार ने एमएसपी पर कानून नहीं बनाया तो आने वाले दिनों में एक और बड़ा आंदोलन खड़ा होगा, जिसमें किसानों के साथ-साथ आम जनता भी जुड़ेगी।
